फटा पोस्टर निकला नेता
फटा पोस्टर निकला नेता
अपनी राजनीति किसी फिल्म से कम थोड़े ही ना है। इंटरवल से पहले तक जो विलन रहता है वह इंटरवल के बाद हिरो बन जाता है। उसके सारे दाग-धब्बे धूल जाते हैं। सर्फ एक्सेल से भी ज्यादा पावरफूल है डिटर्जेंट पाउडर राजनीतिक गलियारे में। यहां दाग लगना वाकई में अच्छा होता है। अरे भई वाई प्लस सुरक्षा जो मिलती है। मेकिंग इंडिया के तहत भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण हो रहा है। शायद भ्रष्टाचार मुक्त से उनका मतलब है विरोधी मुक्त। तभी तो बड़े-बड़े कांड में फंसे लोगों के गले में फूलों की माला पहनाई जा रही है। जो भ्रष्टाचार के कीचड़ में सने थे उनके हाथों में कमल थमाए जा रहे हैं।
अतिथि देवो भव
चुनावी मौसम में इस बगीचे में बहार आ जाती है। दल-बदलू नेताओं की पौ-बारह हो जाती है। जैसे –तैसे करके वे ताकतवर के साथ हो लेते हैं। जब सत्तासीन पार्टी उन्हें गले लगाती है तो वे सारे घोटाले से बरी हो जाते हैं। उनपर लगे आरोप जैसे छू-मंतर हो जाते हैं।आज-कल तो ऐसा लग रहा है कि पहाड़ से लेकर बंगाल की खाड़ी तक कमल खिलाने की तमन्ना रखने वाले “अतिथि देवो भव” की भावना में भाव विभोर हैं।
अपना वोट बैंक लेते आओ
राष्ट्रीय अध्यक्ष के घर-घर जाकर खाना खाने से जब काम नहीं बनता है तो वहां के बड़े बागी नेता को अपने साथ करने का आइडिया जरूर काम कर जाता है। विपक्ष को कमजोर करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है। यह परंपरा तो पुरातन काल से चली आ रही है। राम के साथ भी तो विभिषण आए थे। सनातन धर्म को नहीं निभाया तो पाप लगेगा सो अलग। अब कोई आना चाह रहा है तो उसे मना करना तो गलत होगा ना। आने वाले के दामन में अगर थोड़े बहुत दाग होगें तो वो पापनाशीनी गंगा मईया के जल के छिड़काव से ही धूल जाएंगे। अब आप लोग ये मत कहिए कि गंगा तो खूद गंदी हो गई है। अरे सरकार, नमामि गंगे कहिए। मन चंगा तो कठौती में गंगा। हर बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए। वोट बैंक का समीकरण तो बनाना पड़ता है ना।
भ्रष्टाचार से आप भी लड़े
बात भ्रष्टाचार से लड़ने की हो रही है। भ्रष्टाचार को दूर भगाना है। यह दीमक है, देश को चाट जाएगा। भ्रष्ट और इमानदार के झमेले को लेकर जंतर-मंतर पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ था। आंदोलन के लीड हिरो को चरित्र एक्टर बनते देखा था हमने। आंदोलन के आड़ में राजनीतिक पार्टी का गठन हुआ। वह भ्रष्टाचार की पोल-खोल करने वाली थी। इमानदारी के सर्टिफिकेट भी बांटे जा रहे थे। जो उनके साथ तो वे इमानदार बाकि सारे भ्रष्ट लगते थे। ट्रेलर देख कर तो लगा था कि फिल्म गोल्डेन जुबली मनाएगी। पर जब फिल्म रिलीज हुई तब समझ में आया कि ये तो ‘फटा पोस्टर निकला नेता’ जैसी फिल्म है।
बॉक्स ऑफिस कल्केशन
अगली फिल्म का बॉक्स ऑफिस परिणाम 18 दिसंबर को आएगा। फिलहाल सारे अभिनेता निर्देशक और सहायक कलाकार फिल्म के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। अपने पसंदीदा उम्मीदवार की फिल्म को हिट कराने के लिए रैली रूपी आयटम सॉंग्स का तड़का भी भरपूर लगाया जा रहा है। फिल्म का ट्रेलर रोमांचक है। हिमाचल और गुजरात में किसकी फिल्म चलती है और किसकी फ्लॉप होती है इसपर आगे बनने वाली फिल्मों का आधार टिका होगा। बाकि जनता ने तो आधार को हाथों-हाथ ले ही लिया है।
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