गुजरात चुनाव: दारोमदार राष्ट्रीय चेहरों पर
विश्व में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गौरव रखने वाली भारतीय राजनीति की यह विडंबना है कि इसके पास लोक से जुड़े नेता न के बराबर हैं। एक दौर था जब जमीन से जुड़े नेताओं का राष्ट्रीय राजनीति में बोलबाला होता था। परंतु आज जब भी किसी राज्य में विधानसभा चुनाव की बात होती है तो दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों में से अमूमन दो ही चेहरे सामने आते हैं। कांग्रेस से राहुल गांधी और भारतीय जनता पार्टी से नरेन्द्र मोदी।
चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात दोनों राज्यों के विधान सभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को मतदान होने है जबकि गुजरात में दो चरणों में 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को होंगे। वहीं दोनों राज्यों में पड़े वोटों की मतगणना 18 दिसंबर को होगी। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। वहीं गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं और गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं। दोनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। गुजरात विधानसभा में सीटों की संख्या ज्यादा तो हैं ही साथ ही राज्य का राजनीतिक महत्व भी हिमाचल प्रदेश से ज्यादा है। यहीं वजह है कि सबकी नजरें गुजरात चुनाव पर टिकी हुई हैं।
वर्ष 2012 में जब गुजरात में विधानसभा चुनाव हुआ था तो वहां नेतृत्व नरेन्द्र मोदी के हाथों में था। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने गुजरात में भाजपा के पांव जमा कर रखे थे। इनकी बदौलत भाजपा लगातार पांच विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर पाई। लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। अमित शाह और नरेन्द्र मोदी दोनों ही राष्ट्रीय राजनीति में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश के तत्कालिन मुख्यमंत्री विजय रुपानी में नरेन्द्र मोदी वाला आकर्षण नहीं है। नहीं उनके पास अमित शाह जैसा कोआ रणनीतिकार है। दिसंबर में होने वाले चुनाव में भाजपा को अपना गढ़ बचाने के लिए जी-जान लगाना पड़ेगा। क्योंकि गुजरात के जिस ‘विकास’ को मॉडल बना कर मोदी-शाह की जोड़ी राष्ट्रीय नेतृत्व पर हावी हुई, वहीं विकास आज गुजरात में चुनावी मुद्दा बन गया है। राहुल गांधी जब अपने रैली में पूछते है कि ‘विकास’ को क्या हो गया तो जवाब आती है कि विकास “पागल” हो गया है। तो सरकार द्वारा लागू किए गए जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बता कर राहुल गांधी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोर रहे हैं।
भाजपा गुजरात में 22 सालों से शासन कर रही है। ऐसे में उसे सत्ता विरोधी लहरों का समना करना पड़ सकता है। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ है नहीं, कांग्रेस युवराज नरेन्द्र मोदी के दाव अजमा रहे हैं। अपने भाषणों में वे सरकार के खिलाफ पुराने वाले नरेन्द्र मोदी की आक्रमकता दिखा रहे हैं। मोदी और शाह दोनों के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद गुजरात में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अमित शाह ने इस चुनाव में 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है लेकिन तथ्य ये है कि पिछले तीन विधान सभा चुनाव से भाजपा की सीटें घटती ही आ रही हैं। साल 2002 में बीजेपी ने 127 सीटें, साल 2007 में 117 सीटें और साल 2012 में 116 सीटें जीती थीं। अब 2017 में कितनी मिलती है यह 18 दिसंबर को पता चल जाएगा।
AAP will be a surprise this time. They will sweep away the Gujarat elections.Both Mr Modi and Mr Pappu will bite the dust….Arvind Kejriwal will leave Delhi and serve Gujrat instead.