हिमाचल प्रदेश : चुनाव की उल्टी गिनती शुरू
हिमाचल प्रदेश: चुनाव की उल्टी गिनती शुरू
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों अब 9 नवंबर को होने वाले मतदान की प्रतीक्षा कर रहीं हैं। दोनों पार्टियों के अंदरखाने से पता चला है कि भाजपा हिमाचल में जीत को लेकर आश्वसत है तो वहीं कांग्रेस में कोई ज्यादा उत्साह नहीं दिख रहा है। कांग्रेस ने जिस तरह से इस पहाड़ी राज्य में चुनाव प्रचार किया है उससे भी साफ दिखता है कि उसके लिए हार-जीत मायने नहीं रखते हैं। दूसरी ओर भाजपा ने राज्य में वापसी करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
भाजपा की विशाल सेना
हिमाचल प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के चुनाव प्रचार में भाजपा अपने पूरे लाव-लश्कर को लेकर मैदान में उतरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह स्वयं चुनाव की देख-रेख कर रहें हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, थावरचंद गहलोत, उतराखंड और उतरप्रदेश के मुख्य मंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं ने तबाड़तोड़ चुनाव प्रचार किया है। वहीं कांग्रेसी खेमे से इक्का-दुक्का नेता चुनाव रैली के लिए आए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमार होने की वजह से चुनाव प्रचार से दूर ही रहीं तो उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात जीतने में लगे हुए हैं। राहुल गांधी खानापूर्ती करने के लिए आखिरी दिनों में राज्य में प्रचार करने पहुंचे। उन्होंने छह नवंबर को राज्य में तीन चुनावी रैलियां की।
भाजपा ने झोंकी अपनी पूरी ताकत
हिमाचल प्रदेश चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब चुनाव की कमान सीधे प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संभाली है। प्रदेश भाजपा इकाई के सदस्यों की जगह पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए आरएसएस कार्यकर्ता और पार्टी की अन्य सहयोगी संस्थाएं काम पर लगी हुईं हैं। प्रदेश में कुल 7,521 मतदान केंद्र हैं। इन केंद्रों के प्रबंधन का जिम्मा भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सौंपा गया है। बता दें कि इन मतदान केंद्रों में से 598 शहरी और 6,923 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
टक्कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की
भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल महज एक उम्मीदवार के तौर पर ही नजर आ रहें हैं। मुख्यमंत्री के दावेदार की तरह वे वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से टक्कर लेते नहीं दिख रहें हैं। ऐसा लग रहा है कि यहां जनता को वीरभद्र और मोदी में से किसी एक को चुनना है। प्रधानमंत्री भी चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाए हुएं हैं। भाजपा की तरफ से राज्य में कुल 197 रैलियां हुईं है जबकि कांग्रेस की 110 रैलियां हुईं हैं। भाजपा की ओर से जंग जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह समेत दस से ज्यादा केन्द्रीय मंत्रियों ने प्रचार किया। वहीं कांग्रेस की ओर से स्टार प्रचारक स्वयं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ही रहें हैं।
भाजपा के जीत की संभावना
भाजपा की तरफ से लगाई जा रही ताकत को देख कर कांग्रेस थोड़ी घबड़ाई हुई जरूर नजर आ रही है। पार्टी के बड़े नेता आनंद शर्मा भाजपा से इस भारी भरकम प्रचार में खर्च होने वाले धन के स्त्रोत की जानकारी मांग रहे हैं। सोशल मीडिया सहित कई साधनों से प्रदेश में भाजपा के बहुमत की भविष्यवाणी की जा रही है। वैसे भी प्रदेश का रिकॉर्ड देखें तो यहां हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन होता है। हिमाचल प्रदेश को 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। तबसे दोनों पार्टियां बारी-बारी से सत्ता में आईं हैं। इस हिसाब से अगर देंखे तो इस बार भाजपा की सरकार बनाने की संभावना ज्यादा है।
जीएसटी और नोटबंदी का असर यहां कम है
भाजपा जहां गुजरात में जीएसटी और नोटबंदी के मुद्दे को लेकर घिरी हुई दिख रही है। पर हिमाचल प्रदेश में उसके लिए ये मुद्दे ज्यादा मायने नहीं रखते। प्रदेश में नोटबंदी और जीएसटी का असर गुजरात और अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम देखने को मिला है। शायद इसलिए क्योंकि हिमाचल प्रदेश में ज्यादा कारोबारी गतिविधियां नहीं होती हैं। यहां चुनाव को प्रभावित सामान्य जनता ही करती है। इसमें एक बड़ा वर्ग सरकारी कर्मचारियों का है। लगभग हर परिवार से एक या दो सदस्य सरकारी नौकरी में होते हैं। प्रदेश के युवाओं की भी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा सरकारी नौकरी पाने की ही है। फिर भाजपा ने ऐलान कर ही दिया है कि सत्ता में आने पर वह सरकारी कर्मचारियों के भत्ते बढ़ाएगी।
प्रदेश में गुरुवार को मतदान हो जाएगा। कुल 68 विधान सभा सीटों की लड़ाई लड़ रहे प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम मशीन में बंद हो जाएगी। यह मशीन दिसबंर में होने वाले गुजरात चुनाव के बाद खुलेगी और 18 दिसंबर को जनता का निर्णय सुनाया जाएगा। प्रधानमंत्री को दो-तिहाई बहुमत मिलता है या कांग्रेस वापसी करेगी या फिर गठबंधन की सरकार बनेगी, इन सभी सवालों के साथ देखते रहिए जंग-ए-गुजरात।
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