जुम्हूरियत का ढोल
हाथी के दांत खाने के नहीं दिखावे के होते हैं। राहुल, मोदी, कांग्रेस, भाजपा, प्रजातंत्र और ऐसी ही बाकी सभी चीजें हाथी के दांत हैं। हकीकत तो हम सब जानते हैं।”
हाथी के दांत खाने के नहीं दिखावे के होते हैं। राहुल, मोदी, कांग्रेस, भाजपा, प्रजातंत्र और ऐसी ही बाकी सभी चीजें हाथी के दांत हैं। हकीकत तो हम सब जानते हैं।”
Hopeful eyes throng to get one look at these white knights. For days the knights sing the song of joy. The change is in the air, they say out loud. Alas, the music ends. A hoarse cacophony is all that is left. It’s true after all isn’t it? The more it changes, the more it remains the same.
“राम नाम की लूट है जो लूट सके सो लूट, अंत काल पछताएगा जब तन जहिए छूट।” कबीरदास ने जब कहा तब कहा। बात पुरानी हो गई है। वैसे भी राम तो सिर्फ हिन्दुओं के हैं। लूट तो वैश्विक है। लूट के परम लौकिक आनंद में यह विश्व रमा हुआ है। उसे दूसरे किसी चीज की चिंता-परवाह नहीं है।
शायद भ्रष्टाचार मुक्त से उनका मतलब है विरोधी मुक्त। तभी तो बड़े-बड़े कांड में फंसे लोगों के गले में फूलों की माला पहनाई जा रही है। जो भ्रष्टाचार के कीचड़ में सने थे उनके हाथों में कमल थमाए जा रहे हैं।
आधार के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ रही है। आखिरकार उसने विकास को अपने अहमियत का अहसास जो दिला दिया था। विकास अब उसके सामने पानी भर रहा था।
When will people understand? Democracy and dynasty are the two sides of the same coin. At least this is what the politicians believe in.
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