हिमाचल प्रदेश चुनाव: अब इंतजार नतीजों का
हिमाचल प्रदेश चुनाव: अब इंतजार नतीजों का
हिमाचल प्रदेश में मौसम सर्द हो गया है। वहां हल्की-हल्की बर्फबारी होने की भी खबरें आ रही हैं। राज्य में लोग चुनावी रैलियों और सभाओं से दूर अब अपने सामान्य जन-जीवन में मशगूल हो गए हैं। प्रदेश की जनता ने अपने सबसे बड़े लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग 9 नवंबर को कर लिया है। उन्होंने अपने प्रदेश के तेरहवीं विधानसभा चुनाव के लिए रिकार्ड मतदान किया है। हिमाचल प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने जानकारी दी कि चुनाव समाप्त होने तक 74.45 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। पिछले विधानसभा यानी 2012 में हुए चुनाव में यहां 73.5 प्रतिशत मतदान हुए थे।
शाम तक लगे रहे लोग कतार में
पहाड़ी प्रदेश में सुबह 8 बजे मतदान शुरू हुआ और लोगों की कतार लंबी होने की वजह से समाप्त होने में शाम के 6 बज गए। सुबह-सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर लोगों से अपील की थी की भारी संख्या में मतदान करें। प्रदेश की 68 विधानसभा सीट के लिए 337 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इनमें से 60 निवर्तमान विधायक हैं। 68 सीटो में से 17 पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित है जबकि तीन अति पिछड़ी जातियों के लिए। तीन सौ सैंतीस उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 49,05,677 मतदाताओं के हाथों में था। जिनमें से 74.45 प्रतिशत लोगों ने अपना निर्णय सुना दिया हैं। हालांकि नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। फिर भी बड़ी संख्या में हुए मतदान को देखकर राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के आसार बढ़ गए हैं।
एग्जिट पोल पर रोक
अगले महीने गुजरात में होने वाले चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने किसी भी तरह के एग्जिट पोल के दिखाने पर रोक लगा दी है। वैसे मीडिया में प्रचलन है कि शाम पांच बजे चुनाव खत्म हो और सात-से-आठ बजे से एग्जिट पोल के आधार पर पार्टियों के जीत-हार का ऐलान करते हुए न्यूज चैनल नजर आने लगते हैं। फिर भी सोशल मीडिया पर पार्टियों के समर्थक अपनी-अपनी राय व्यक्त कर ही रहे हैं। एक तरह से सभी का यह मानना है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के बढ़ते-घटते ग्राफ को दर्शाएंगे।
भाजपा और कांग्रेस के दावे
चुनावी हंगामे के बाद, हिमाचल की शांति में उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। भाजापा के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी कम से कम 60 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस दहाई अंक भी नहीं छू पाएगी। वहीं कांग्रेस ने लोगों को अपनी पार्टी को समर्थन देने के लिए धन्यवाद कर रही है। कांग्रेस के मीडिया पैनेलिस्ट अखिलेश प्रताप सिंह का कहना है कि लोगों ने रिकार्ड मतदान कांग्रेस को सत्ता में बनाए रखने के लिए किया है। हम उनका शुक्रिया करते हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल भी मान रहे है कि अब उन्हें 60 सीटें मिल सकती है। हालांकि वे लोग पहले 50 सीटो का लक्ष्य लेकर चल रहे थे। वहीं कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी बहुमत प्राप्त होने का पूरा भरोसा है। वे कहते हैं कि अगली सरकार कांग्रेस ही बनाएगी। किसके दावे सही साबित होते हैं और किसके खोखले, यह तो परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चलेगा।
कांग्रेस, भाजपा और अन्य दल
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अगुआई में कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को नेता बनाकर भाजपा दोनों ने सभी विधानसभा सीटो पर चुनाव लड़ा हैं। वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियों में बहुजन समाजवादी पार्टी ने 42 सीटो पर, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने 14 सीटो पर और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने तीन सीटो पर दावेदारी जताई है। इनके अलावे स्वाभिमान पार्टी और लोक गठबंधन पार्टी ने भी छह-छह सीटो पर चुनाव लड़ा हैं।
शांतिपूर्ण चुनाव कराने की जिम्मेवारी
राज्य में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने की जिम्मेवारी चुनाव आयोग के साथ-साथ सुरक्षा जवानों पर भी थी। राज्य में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सैन्यबलों को लगाया गया है। इस चुनाव में 11,500 जवानों समेत 6,400 होमगार्ड तैनात किए गए थे। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को कायम रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 65 टुकड़ियां तैनात की गई थी। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेवारी को पूरा किया है। जनता का फैसला भी लगभग आ ही गया है। 18 दिसंबर को देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों के चुनावी दावे की सच्चाई समाने आ जाएगी। देखना दिलचस्प होगा कि हिमाचल वीर का होता है या प्रेम को स्वीकार करता है।
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